عن أبي ذر رضي الله عنه قال: قال لي النبي صلى الله عليه وسلم:
«لَا تَحْقِرَنَّ مِنَ الْمَعْرُوفِ شَيْئًا، وَلَوْ أَنْ تَلْقَى أَخَاكَ بِوَجْهٍ طَلْقٍ».
[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 2626]
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अबूज़र रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, उन्होंने कहा : अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"किसी भी नेकी के काम को कदापि कमतर न जानो, चाहे इतना ही क्यों न हो कि तुम अपने भाई से मुस्कुराते हुए मिलो।"
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 2626]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने नेकी के काम के प्रति उत्साह जगाने के साथ-साथ इस बात की प्रेरणा दी है कि नेकी के किसी छोट-से छोटे काम को भी हेय दृष्टि से न देखा जाए। इसका एक उदाहरण यह है कि मिलते समय मुस्कुरा कर मिला जाए। अतः हर मुसलमान को इसपर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इससे प्रेम-भाव पैदा होता है।