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عن عبد الله بن عمرو رضي الله عنهما قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم:
«إِنَّ الْمُقْسِطِينَ عِنْدَ اللهِ عَلَى مَنَابِرَ مِنْ نُورٍ، عَنْ يَمِينِ الرَّحْمَنِ عَزَّ وَجَلَّ، وَكِلْتَا يَدَيْهِ يَمِينٌ، الَّذِينَ يَعْدِلُونَ فِي حُكْمِهِمْ وَأَهْلِيهِمْ وَمَا وَلُوا».

[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 1827]
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अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"न्याय करने वाले सर्वशक्तिमान एवं महान दयावान् (अल्लाह) के दाएँ जानिब, और उसके दोनों हाथ दाएँ हैं, प्रकाश के मिंबरों पर होंगे, जो अपने निर्णय में, घर वालों के बीच और उन कामों में जो उन्हें सोंपे जाएँ, न्याय करते हैं।"

[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 1827]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि जो लोग अपने मातहत (अधीन) लोगों तथा घर वालों के बीच एवं अपने फ़ैसलों में न्याय और सत्य के साथ निर्णय करते हैं, व क़यामत के दिन बैठने के ऐसे ऊँचे स्थानों में बैठे होंगे, जो नूर (प्रकाश) से बने होंगे। ये स्थान उनको उनके सम्मान में दिए जाएँगे। ये ऊँचे स्थान दयावान् अल्लाह के दाएँ ओर होंगे। ज्ञात रहे कि अल्लाह के दोनों हाथ दाएँ हैं।

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हदीस का संदेश

  1. न्याय की फ़ज़ीलत तथा न्याय करने की प्रेरणा।
  2. यहाँ न्याय का ज़िक्र व्यापक रूप में हुआ है, जिसके दायरे में तमाम तरह के शासन और लोगों के बीच के निर्णय आ जाते हैं। यहाँ तक कि पत्नियों और बच्चों के बीच न्याय करना भी।
  3. क़यामत के दिन न्यायकारियों के स्थान का बयान।
  4. क़यामत के दिन ईमान वालों को मिलने वाले स्थान उनके कर्मों के अनुसार भिन्न-भिन्न होंगे।
  5. प्रेरणा पद्धति आह्वान की एक पद्धति है, जो सामने वाले व्यक्ति को नेकी के काम करने के लिए प्रेरित करती है।
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