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عن جابر رضي الله عنه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال:
«رَحِمَ اللهُ رَجُلًا سَمْحًا إِذَا بَاعَ، وَإِذَا اشْتَرَى، وَإِذَا اقْتَضَى».

[صحيح] - [رواه البخاري] - [صحيح البخاري: 2076]
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जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"अल्लाह उस व्यक्ति पर दया करे, जो बेचते, खरीदते और क़र्ज का तकाज़ा करते समय नर्मी से काम ले।"

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 2076]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हर उस व्यक्ति के लिए रहमत की दुआ की है, जो क्रय-विक्रय के समय बड़ा दिल दिखाए। चुनांचे ख़रीदने वाले पर भाव के विषय में सख़्ती से काम न ले और अच्छे आचरण का प्रदर्शन करे। इसी तरह खरीदते समय बड़ा दिल दिखाए और सामान का दाम कम न दे। साथ ही क़र्ज़ का तक़ाज़ा करते समय भी बड़ा दिल दिखाए और किसी ज़रूरतमंद तथा निर्धन पर सख़्ती न करे, नर्मी के साथ अदायगी को कहे और दिवालिये को छूट भी दे।

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हदीस का संदेश

  1. शरीयत का एक उद्देश्य लोगों के संबंधों को अच्छा रखने वाले कामों की शिक्षा देना है।
  2. लोगों के बीच लेन‍-देन, जैसे क्रय-विक्रय आदि में अच्छे आचरण के प्रदर्शन की प्रेरणा।
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