عن أبي كريمة المقداد بن معد يكرب رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: «إِذَا أَحَبَّ الرَّجُلُ أَخَاهُ، فَلْيُخْبِرْهُ أَنَّهُ يُحِبُّهُ».
[صحيح] - [رواه أبو داود والترمذي والنسائي في السنن الكبرى وأحمد]
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अबू करीमा मिक़दाद बिन मादीकरिब (रज़ियल्लाहु अनहु) अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमायाः जब कोई अपने भाई से मोहब्बत रखे, तो उसे बता दे कि वह उससे मोहब्बत रखता है।
सह़ीह़ - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

बहुत सारी हदीसें अल्लाह की खातिर एक-दूसरे से प्रेम करने पर उभारती और उससे प्राप्त होने वाले पुण्य के बारे में सूचना प्रदान करती हैं। उन सबसे इतर, इस हदीस में एक ऐसी महत्वपूर्ण बात की तरफ इशारा किया गया है, जो मुसलमानों के बीच प्रेम का प्रसार करने के साथ-साथ, उनके आपसी संबंधों पर गहरा प्रभाव डालती है। वह यह है कि एक मुसलमान दूसरे मुसलमान भाई को इस बात से अवगत करा दे कि वह उससे प्रेम करता है। इसके द्वारा सामाजिक ढाँचे को चूर्ण-विचूर्ण होने से बचाया जा सकता है। ऐसा मुस्लिम समाज के लोगों में प्रेम एवं स्नेह के प्रसार और इस्लामी भाईचारे के द्वारा सामाजिक संबंधों को प्रगाढ़ करके किया जा सकता है। यह सब प्रेम-प्रसार के साधनों के ज़रिए संभव है, जिनमें से एक यह भी है कि अल्लाह की खातिर एक-दूसरे से प्रेम करने वाले लोग एक-दूसरे से प्रेम करने की बात को आपस में साझा करें।

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हदीस का संदेश

  1. जो अपने भाई से अल्लाह की खातिर प्रेम करे, वह उसे अवगत करा दे।
  2. आपसी प्रेम से एक-दूसरे को अवगत कराने का फायदा यह होगा कि सामने वाला जब जान लेगा कि अमुक आदमी मुझसे प्रेम करता है, तो वह उसके उपदेश को तुरंत मान लेगा और उसकी वह बात नहीं टालेगा, जिसमें उसका भला निहित है।
  3. जिसे अल्लाह की वजह से प्यार किया जाये , उसे अपने पयार से अवगत कराने को, इस हदीस में, पुण्यकारी बताया गया है, ताकि प्रेम एवं स्नेह में वृद्धि हो।
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