عَنْ عَائِشَةَ أُمِّ المُؤمنينَ رضي الله عنها قَالَتْ:
كَانَ النَّبِيُّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يُعْجِبُهُ التَّيَمُّنُ، فِي تَنَعُّلِهِ، وَتَرَجُّلِهِ، وَطُهُورِهِ، وَفِي شَأْنِهِ كُلِّهِ.
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 168]
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मुसलमानों की माता आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है, वह कहती हैं :
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जूता पहनना, कंघी करना, पवित्रता प्राप्त करना तथा अपने सभी कार्यों को दाएँ से करना पसंद करते थे।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 168]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सम्मान योग्य कार्यों को दाएँ जानिब से आरंभ करना पसंद करते थे। मसलन : जूता पहनते समय पहले दाएँ पाँव में पहनना, सर एवं दाढ़ी के बालों को कंघी करते, सँवारते और तेल लगाते समय दाएँ जानिब से शुरू करना, वज़ू करते समय दाएँ हाथ एवं दाएँ पाँव को बाएँ हाथ एवं बाएँ पाँव से पहले धोना।