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عن عائشة رضي الله عنها قالت: «كان رسول الله صلى الله عليه وسلم يعجبه التيمُّن في تَنَعُّلِّه، وترجُّلِه، وطُهُورِه، وفي شَأنه كُلِّه».
[صحيح] - [متفق عليه]
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आइशा (रज़ियल्लाहु अनहा) का वर्णन है, वह कहती हैंः अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जूता पहनने, कंघी करने, पवित्रता प्राप्त करने तथा अपने सभी कार्यों को दाएँ से करना पसंद करते थे।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

आइशा -रज़ियल्लाहु अनहा- हमें अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की एक प्रिय आदत से अवगत करा रही हैं। उन्होंने कहा कि आप जूता पहनने, बाल में कंघी करने, बाल सँवारने, नापाकियों से पाकी हासिल करने और इस तरह के अन्य सभी कामों, जैसे कुर्ता तथा पाजामा पहनने, सोने और खाने-पीने आदि को दाएँ से करना पसंद करते थे। विदित हो कि यह सब कुछ अच्छा शगुन लेने तथा दाएँ को बाएँ पर सम्मान देने के लिए है। रही बात नापसंदीदा कार्यों की, तो उन्हें बाएँ हाथ से करना उत्तम है। यही कारण है कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने दाएँ हाथ से इस्तिंजा करने और दाएँ हाथ से लिंग को छूने से मना किया है। क्योंकि दायाँ हाथ पवित्र तथा अच्छे कामों के लिए है और बायाँ हाथ दूसरे कामों के लिए है।

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