عن عائشة رضي الله عنها قالت: "كَانَت يَدُ رسُولِ الله -صلَّى الله عليه وسلَّم- اليُمنَى لِطُهُورِهِ وطَعَامِهِ، وكَانَت اليُسْرَى لِخَلاَئِهِ، ومَا كَانَ مِنْ أَذَى". عن حفصة رضي الله عنها "أَنَّ رَسُولَ الله -صلَّى الله عليه وسلَّم- كَانَ يَجْعَلُ يَمِينَهُ لِطَعَامِهِ وَشَرَابِهِ وَثِيَابِهِ، وَيَجْعَلُ يَسَارَهُ لِمَا سِوَى ذَلِك".
[الحديثان صحيحان] - [الحديث الأول: رواه أبو داود وأحمد. الحديث الثاني: رواه أبو داود وأحمد]
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आइशा (रज़ियल्लाहु अनहा) कहती हैंः अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का दायाँ हाथ पवित्रता प्राप्त करने और खाने के लिए था। जबकि बायाँ हाथ इस्तिंजा करने एवं अन्य सफ़ाई के कामों के लिए होता था। हफ़सा (रज़ियल्लाहु अनहा) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने दाएँ हाथ को खाने-पीने और कपड़े पहनने के लिए इस्तेमाल करते थे, जबकि बाएँ हाथ को अन्य कार्यों के लिए रखते थे।
सह़ीह़ - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।

व्याख्या

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