عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه عَنِ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«لَوْلَا أَنْ أَشُقَّ عَلَى الْمُؤْمِنِينَ -أَوْ: عَلَى أُمَّتِي- لَأَمَرْتُهُمْ بِالسِّوَاكِ عِنْدَ كُلِّ صَلَاةٍ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح مسلم: 252]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है :
"यदि मुसलमानों पर -या : मेरी उम्मत पर- कठिन न होता, तो मैं उन्हें आदेश देता कि प्रत्येक नमाज़ के समय मिसवाक कर लिया करें।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 252]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया कि अगर आपको अपनी उम्मत के मशक़्क़त में पड़ने का भय न होता, तो उनपर हर नमाज़ के समय मिस्वाक को अनिवार्य कर देते।