عَنْ عَبْدِ اللَّهِ بِن مَسْعُودٍ رضي الله عنه قَالَ:
سَأَلْتُ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: أَيُّ العَمَلِ أَحَبُّ إِلَى اللَّهِ؟ قَالَ: «الصَّلاَةُ عَلَى وَقْتِهَا»، قَالَ: ثُمَّ أَيٌّ؟ قَالَ: «ثُمَّ بِرُّ الوَالِدَيْنِ» قَالَ: ثُمَّ أَيٌّ؟ قَالَ: «الجِهَادُ فِي سَبِيلِ اللَّهِ» قَالَ: حَدَّثَنِي بِهِنَّ، وَلَوِ اسْتَزَدْتُهُ لَزَادَنِي.
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 527]
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अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं :
मैंने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा कि अल्लाह के निकट सबसे अधिक कौन-सा कर्म प्रिय है? आपने उत्तर दिया : "समय पर नमाज़ पढ़ना।" मैंने पूछा : फ़िर काैन-सा? फ़रमाया : "माँ-बाप के साथ अच्छा व्यवहार करना।" मैंने पूछा : फ़िर कौन-सा? फ़रमाया : "अल्लाह के रास्ते में जिहाद करना।" अब्दुल्लाह बिन मसऊद कहते हैं : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे यह बातें बताईं। यदि मैं और पूछ्ता, तो आप और बताते।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा गया कि अल्लाह के निकट कौन-सा अमल सबसे ज़्यादा प्रिय है? तो आपने उत्तर दिया : फ़र्ज़ नमाज़ को उसके शरीयत द्वारा निर्धारित समय पर पढ़ना। फिर माता-पिता का आज्ञापालन करते हुए उनके साथ अच्छा व्यवहार करना, उनको उनका अधिकार देना और उनकी नाफ़रमानी न करना। फिर अल्लाह के पताका को ऊँचा करने, इस्लाम तथा मुसलमानों की रक्षा और इस्लामी प्रतीकों का वर्चस्व स्थापित करने के लिए तन एवं धन के साथ अल्लाह के मार्ग में युद्ध करना।
अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अनहु कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मेरे पूछने पर यह कार्य बताए और अगर में आगे पूछता, तो आप और भी बताते।