+ -

عَنِ ابْنِ عُمَرَ رضي الله عنهما عَنِ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، قَالَ:
«مَثَلُ الْمُنَافِقِ، كَمَثَلِ الشَّاةِ الْعَائِرَةِ بَيْنَ الْغَنَمَيْنِ تَعِيرُ إِلَى هَذِهِ مَرَّةً وَإِلَى هَذِهِ مَرَّةً».

[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 2784]
المزيــد ...

अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"मुनाफ़िक़ की मिसाल दो रेवड़ों के बीच चक्कर लगाने वाली बकरी की जैसी है, जो एक बार इस रेवड़ की ओर जाती है, तो एक बार उस रेवड़ की ओर।"

[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 2784]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि मुनाफ़िक़ का हाल दुविधा में पड़ी हुई बकरी की तरह है, जिसे पता न हो कि दो रेवड़ों में से किसके साथ रहना है? कभी इस रेवड़ की ओर जाती हो, तो कभी उस रेवड़ की ओर। बिल्कुल इसी तरह मुनाफ़िक़ ईमान और कुफ़्र के विषय में दुविधा में पड़े होते हैं। न तो ईमान वालों के साथ अंदर और बाहर दोनों तरह से होते हैं और न काफ़िरों के साथ अंदर और बाहर दोनों तरह से होते हैं। वैसे तो ज़ाहिरी तौर पर ईमान वालों के साथ होते हैं, लेकिन मन में असमंजस की स्थिति होती है। कभी मुसलमानों की ओर झुक जाते हैं और कभी काफ़िरों की ओर।

अनुवाद: अंग्रेज़ी उर्दू स्पेनिश इंडोनेशियाई उइग़ुर बंगला फ्रेंच तुर्की रूसी बोस्नियाई सिंहली चीनी फ़ारसी वियतनामी तगालोग कुर्दिश होसा पुर्तगाली मलयालम तिलगू सवाहिली तमिल बर्मी थाई जर्मन पशतो असमिया अल्बानियाई السويدية الأمهرية الهولندية الغوجاراتية Kirgisisch النيبالية Yoruba الليتوانية الدرية الصربية الصومالية الطاجيكية Kinyarwanda الرومانية المجرية التشيكية الموري Malagasy इतालवी Oromo Kanadische Übersetzung الولوف البلغارية Aserbaidschanisch اليونانية الأوزبكية الأوكرانية الجورجية اللينجالا المقدونية
अनुवादों को प्रदर्शित करें

हदीस का संदेश

  1. बात अच्छी तरह समझ में आए, इसके लिए अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उदाहरण दिया करते थे।
  2. इस हदीस में मुनाफ़िक़ों की दुविधा, संदेह और अस्थिरता को बयान किया गया है।
  3. इसमें मुनाफ़िक़ के हाल से सावधान किया गया है और ज़ाहिरी एवं अंदरूनी तौर पर पक्का-सच्चा मुसलमान बनने की शिक्षा दी गई है।
अधिक