عن أنس بن مالك رضي الله عنه قال سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم يقول: «من أحبّ أن يُبْسَطَ عليه في رزقه، وأن يُنْسَأَ له في أَثَرِهِ؛ فَلْيَصِلْ رحمه».
[صحيح] - [متفق عليه]
المزيــد ...

अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रमाते हुए सुनाः "जो चाहता हो कि उसकी रोज़ी फैला दी जाए और उसकी आयु बढ़ा दी जाए, वह अपने रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करे।"
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस हदीस में रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करने की प्रेरणा दी गई है, और उसके कुछ फ़ायदों को बयान किया गया है। उसके जो फ़ायदे बयान किए गए हैं, वह यह हैं कि उससे इनसान की आजीविका में विस्तार प्रदान कर दिया जाता है, और उसकी आयु बढ़ा दी जाती है। इसका एक और फ़ायदा भी है। इससे अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त होती है, जो कि बंदे के निकट सबसे प्रिय वस्तु की प्राप्ति के रूप में एक नक़द सवाब है। अल्लाह तआला के फ़रमान : "ولن يؤخر الله نفسا إذا جاء أجلها" में "أجلها" से मुराद वह निर्धारित समय है, जहाँ इनसान आयु को बढ़ाने वाले कामों को करने के बाद पहुँचता है। उदाहरण के तौर पर अगर मान लिया जाए कि किसी व्यक्ति की आयु पचास साल है और वह मृत्यु से पहले किसी रिश्तेदार पर कोई उपकार करेगा, जिसके कारण उसकी आयु साठ साल हो जाएगी, तो उसे साठ साल के बाद और अवसर नहीं मिलेगा। इन सारी बातों को अल्लाह पहले ही से जानता है। हाँ, कुछ फ़रिश्ते इनसे अवगत नहीं होते। अल्लाह के फ़रमान : "يمحو الله ما يشاء ويثبت" में आदेशों को मिटाने और साबित रखने की जो बात कही गई है, उससे मुराद फ़रिश्तों की पुस्तकों से मिटाना और साबित रखना है। जबकि "وعنده أم الكتاب" में उम्म अल-किताब से मुराद वह मूल पुस्तक है, जिसमें हर वस्तु का विवरण दर्ज है और उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता।

अनुवाद: अंग्रेज़ी फ्रेंच स्पेनिश तुर्की उर्दू इंडोनेशियाई बोस्नियाई रूसी बंगला चीनी फ़ारसी वियतनामी सिंहली उइग़ुर कुर्दिश होसा पुर्तगाली मलयालम तिलगू सवाहिली तमिल बर्मी थाई जर्मन जापानी पशतो असमिया अल्बानियाई السويدية الأمهرية الهولندية الغوجاراتية الدرية
अनुवादों को प्रदर्शित करें

हदीस का संदेश

  1. रिश्ते-नाते को निभाने और रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करने का शौक़ तथा प्रेरणा।
  2. रिश्ता-नाता निभाने को अल्लाह ने रोज़ी में विस्तार और आयु में वृद्धि का एक प्रबल सबब बनाया है।
  3. अल्लाह के निकट हर व्यक्ति के कर्मों का बदला उसके द्वारा किए गए कार्य के जैसा ही दिया जाता है। यही कारण है कि जो अपने रिश्ते की डोर की अखंडता को बहाल रखते हुए रिश्तेदारों के साथ भलाई और उनपर उपकार करेगा, अल्लाह उसकी आयु की डोर को खींच कर लंबा कर देगा और उसकी रोज़ी में विस्तार प्रदान कर देगा।
  4. असबाब यानी साधनों की सिद्धि। क्योंकि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने रिश्ता-नाता जोड़ने को एक सबब के तौर पर और आयु में वृद्धि और रोज़ी में विस्तार को उसके परिणाम के रूप में साबित किया है।
अधिक