عن جبير بن مطعم رضي الله عنه مرفوعاً: «لا يدخل الجنة قاطع».
[صحيح] - [متفق عليه]
المزيــد ...

जूबैर बिन मुतइम (रज़ियल्लाहु अंहु) नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से रिवायत करते हुए कहते हैंः "जन्नत में वह व्यक्ति प्रवेश नहीं करेगा, जो रिश्तों-नातों को काटता हो।"
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

यह हदीस इस बात का प्रमाण है कि रिश्तेदारों से संबंध विच्छेद हराम तथा बड़ा गुनाह है। ज्ञात हो कि इस हदीस में जन्नत में दाख़िल न होने से मुराद सिरे से दाख़िल न होना नहीं, बल्कि बिना किसी यातना का सामना किए दाख़िल होना है। क्योंकि रिश्ते-नाते को तोड़ने वाला काफ़िर नहीं हो जाता कि उसपर जन्नत हराम हो जाए। वह जब तक एकेश्वरवादी है, तब तक कभी न कभी तो जन्नत में दाख़िल होगा ही। लेकिन इससे पहले उसे अपने गुनाह के अनुरूप यातना का सामना करना होगा।

अनुवाद: अंग्रेज़ी फ्रेंच स्पेनिश तुर्की उर्दू इंडोनेशियाई बोस्नियाई रूसी बंगला चीनी फ़ारसी तगालोग वियतनामी सिंहली कुर्दिश होसा पुर्तगाली मलयालम तिलगू सवाहिली तमिल बर्मी जर्मन जापानी पशतो असमिया अल्बानियाई
अनुवादों को प्रदर्शित करें

हदीस का संदेश

  1. रिश्ते-नाते को काटना एक बड़ा गुनाह है। इस हदीस में रिश्ते-नाते को काटने के ख़तरे और उसके नुक़सानों को बयान किया गया है।
अधिक