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عن عائشة رضي الله عنها عن النبي صلى الله عليه وسلم قال:
«إِنَّ أَبْغَضَ الرِّجَالِ إِلَى اللهِ الْأَلَدُّ الْخَصِمُ».

[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 2457]
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आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
”अल्लाह के पास सबसे घृणित व्यक्ति वह है, जो अत्यधिक झगड़ालू तथा हमेशा विवाद में रहने वाला हो।”

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 2457]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलौैहि व सल्लम बता रहे हैं कि सर्वशक्तिमान एवं महान् अल्लाह बहुत ज़्यादा झगड़ा करने वाले व्यक्ति से घृणा करता है, जो सच से सहमत न होता हो और उसे अपनी बात से नकारने का प्रयास करता हो, या फिर झगड़ता तो सत्य के लिए हो, लेकिन झगड़ा करते समय सारी सीमाएँ लाँघ जाता हो, और किसी विषय में ज्ञान न होने पर भी वाद-विवाद करे।

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हदीस का संदेश

  1. पीड़ित व्यक्ति का शरई तरीक़े से अदालत में जाकर अपना अधिकार माँगना निंदनीय झगड़े के दायरे में नहीं आता।
  2. वाद-विवाद और झगड़ा ज़बान की क्लेशों में से एक है, जो मुसलमानों के बीच विभाजन और रिश्तों के खराब होने का कारण बनता है।
  3. झगड़ा अगर सत्य के लिए किया जाए और उसका तरीक़ा अच्छा हो, तो अच्छी चीज़ है। लेकिन अगर सत्य को नकारने और असत्य को स्थापित करने के लिए किया जाए अथवा बिना किसी प्रमाण के किया जाए, तो निंदनीय है।
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