عن عائشة رضي الله عنها مرفوعاً: «اللهم من وَلِيَ من أمر أمتي شيئاً، فشَقَّ عليهم؛ فاشْقُقْ عليه».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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आइशा (रज़ियल्लाहु अंहा) नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से यह दुआ नक़ल करती हैंः "ऐ अल्लाह, जो व्यक्ति मेरी उम्मत के किसी मामले का ज़िम्मेवार बने, फिर वह उन्हें कठिनाई में डाले, तो तू उसे कठिनाई में डाल।"
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस हदीस में उस व्यक्ति के लिए बड़ी सख़्त धमकी है, जो मुसलमानों के किसी छोटे या बड़े कार्य का ज़िम्मेदार बनाया जाए और वह लोगों को कठिनाई में डालने का काम करे। अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने उसके लिए दुआ की है कि अल्लाह तआला उसे उसके कर्म के वर्ग से ही प्रतिफल प्रदान करे।

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हदीस का संदेश

  1. इस हदीस के अंदर उन शासकों तथा अधिकारियों के हक़ में सख़्त धमकी है, जो लोगों को कठिनाई में डालते हैं।
  2. जो व्यक्ति मुसमानों के किसी काम का ज़िम्मेदार बने उसपर अनिवार्य है कि वह उनके साथ नर्मी का व्यवहार करे।
  3. अल्लाह की ओर से प्रतिफल इनसान के कर्म ही के वर्ग का दिया जाता है।
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