عن عائشة رضي الله عنها قالت: كان خُلُقُ نَبي اللِه صلى الله عليه وسلم القرآن.
[صحيح] - [رواه مسلم في جملة حديثٍ طويلٍ]
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आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) कहती हैं कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का चरित्र क़ुरआन था।
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस हदीस का अर्थ यह है कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- क़ुरआन के बयान किए हुए आचरण से सुसज्जित थे। क़ुरआन जिन बातों का आदेश देता है उनका पालन करते थे और जिन बातों से रोकता है उनसे बचते थे। चाहे इसका संबंध अल्लाह की इबादत से हो या उसके बंदों के साथ बरताव से। सारांश यह कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- का व्यवहार क़ुरआन के अनुपालन पर आधारित था। इसके द्वारा मुसलमानों की माता आइशा -रज़ियल्लाहु अनहा- ने इस बात की ओर इशारा किया है कि यदि हम अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के चरित्र को अपने जीवन में उतारना चाहते हैं, तो हमें क़ुरआन के द्वारा बताए गए आचरण को अपने जीवन में लाना होगा।

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हदीस का संदेश

  1. अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पदचिह्नों पर चलते हुए क़ुरआन को अपने आचार-विचार का स्रोत बनाने की प्रेरणा।
  2. अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आचरण की प्रशंसा तथा यह कि उसका आधार वह्य था।
  3. इसलाम में उच्च आचरण तथा आदर्श नैतिकता का स्थान तथा यह कि यह उस कलिमा-ए-तौहीद का एक शुभ परिमाण है, जो सत्कर्म का सबब बनता है।