عَن عُمَرَ بنِ الخَطَّابِ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ قال: سَمِعْتُ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَقُولُ:
«لَا تُطْرُونِي كَمَا أَطْرَتِ النَّصَارَى ابْنَ مَرْيَمَ؛ فَإِنَّمَا أَنَا عَبْدُهُ، فَقُولُوا: عَبْدُ اللهِ وَرَسُولُهُ».
[صحيح] - [رواه البخاري] - [صحيح البخاري: 3445]
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उमर बिन ख़त्ताब रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि मैंने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कहते हुए सुना है :
"तुम लोग मेरे प्रति प्रशंसा और तारीफ़ में उस प्रकार अतिशयोक्ति न करो, जिस प्रकार ईसाइयों ने मरयम के पुत्र के बारे किया। मैं केवल अल्लाह का बंदा हूँ। अतः मुझे अल्लाह का बंदा और उसका रसूल कहो।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 3445]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपनी प्रशंसा में शरई सीमा से आगे बढ़ने, आपको अल्लाह की विशेषताओं से विशेषित करने, आपके बारे में ग़ैब की बात जानने का दावा करने और आपको अल्लाह के साथ पुकारने से मना किया है, जैसा कि ईसाइयों ने ईसा बिन मरयम के साथ किया। फिर बताया कि आप अल्लाह के बंदों में से एक बंदे हैं। इसलिए आदेश दिया कि हम आपको अल्लाह का बंदा और उका रसूल कहें।