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عن عائشة رضي الله عنها زوج النبي صلى الله عليه وسلم عن النبي صلى الله عليه وسلم قال:
«إِنَّ الرِّفْقَ لَا يَكُونُ فِي شَيْءٍ إِلَّا زَانَهُ، وَلَا يُنْزَعُ مِنْ شَيْءٍ إِلَّا شَانَهُ».

[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 2594]
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अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नी आइशा रज़ियल्लाहु अनहा से वर्णित है कि आपने फ़रमाया :
"दयालुता जिसमें भी होती है, उसे सुंदर बना देती है और जिससे निकाल ली जाती है, उसे कुरूप कर देती है।"

[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 2594]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि नर्मी और बात तथा कार्य में संयम रखना चीज़ों की सुंदर तथा संपूर्णता में वृद्धि कर देती है और इससे इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि इन्सान की ज़रूरत पूरी हो जाए।
जबकि नर्मी का न होना चीज़ों को दोषपूर्ण तथा कुरूप बना देती है और इन्सान की ज़रूरत की पूर्ति के मार्ग में रुकावट खड़ी कर देती है। ज़रूरत पूरी हो भी जाए, तो कठिनाई के साथ पूरी होती है।

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हदीस का संदेश

  1. नर्मी अपनाने की प्रेरणा।
  2. नर्मी इन्सान के व्यक्तित्व को सुंदर बनाती है और यह दीन तथा दुनिया की हर भलाई का सबब है।
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