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عن أبي هريرة رضي الله عنه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال:
«مَنْ قَالَ: سُبْحَانَ اللهِ وَبِحَمْدِهِ، فِي يَوْمٍ مِائَةَ مَرَّةٍ، حُطَّتْ خَطَايَاهُ وَإِنْ كَانَتْ مِثْلَ زَبَدِ الْبَحْرِ».

[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 6405]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
“जिसने दिन भर में सौ बार 'सुबहानल्लाहि व बिह़म्दिहि' (अल्लाह के लिए पवित्रता है उसकी प्रशंसा के साथ) कहा, उसके सारे पाप क्षमा कर दिए जाएँगे, यद्यपि वे समुद्र के झाग के बराबर ही क्यों न हों।”

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 6405]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि जिसने दिन एवं रात में सौ बार 'सुबहानल्लाहि व बिह़म्दिहि' (अल्लाह के लिए पवित्रता है उसकी प्रशंसा के साथ) कहा, उसके गुनाह मिटा तथा क्षमा कर दिए जाते हैं, यद्यपि उसके गुनाह इतने अधिक हों कि समुद्र के झाग के बराबर मालूम होते हों।

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हदीस का संदेश

  1. यह सवाब लगातार तथा अंतराल के साथ दोनों तरह कहने से प्राप्त होगा।
  2. तसबीह का मलतब है अल्लाह को सभी कमियों से पवित्र कहना और ह़म्द (प्रशंसा) का अर्थ है उसे प्रेम तथा सम्मान के साथ हर प्रकार से संपूर्ण मानना।
  3. इस हदीस से मुराद छोटे गुनाहों का माफ़ होना है। बड़े गुनाह तौबा के बिना माफ़ नहीं होते।
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