+ -

عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم:
«مَنْ يَقُمْ لَيْلَةَ الْقَدْرِ إِيمَانًا وَاحْتِسَابًا غُفِرَ لَهُ مَا تَقَدَّمَ مِنْ ذَنْبِهِ»

[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 35]
المزيــد ...

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"जो ईमान के साथ और नेकी की आशा मन में लिए हुए, लैलतुल क़द्र (सम्मानित रात्रि) में कयाम करता है, उसके पिछले सारे गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।"

सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रमज़ान मास की अंतिम दस रातों में से किसी एक रात में विद्यमान लैलतुल क़द्र (सम्मानित रात्रि) की फ़ज़ीलत बता रहे हैं। आप बता रहे हैं कि जिसने इस रात तथा इसकी फ़ज़ीलत पर विश्वास रखते हुए, अल्लाह की ओर से मिलने वाले प्रतिफल की आशा रखते हुए और दिखावे से बचते हुए इस रात में जाग कर इबादत की, मसलन नमाज़ पढ़ी, दुआ की, क़ुरआन की तिलावत की और अज़कार पढ़े, उसके पिछले गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।

अनुवाद: अंग्रेज़ी उर्दू स्पेनिश इंडोनेशियाई उइग़ुर बंगला फ्रेंच तुर्की रूसी बोस्नियाई सिंहली चीनी फ़ारसी वियतनामी तगालोग कुर्दिश होसा पुर्तगाली मलयालम तिलगू सवाहिली तमिल बर्मी थाई जर्मन जापानी पशतो असमिया अल्बानियाई السويدية الأمهرية الهولندية الغوجاراتية القيرقيزية النيبالية اليوروبا الليتوانية الدرية الصربية الصومالية الطاجيكية الكينياروندا الرومانية المجرية التشيكية المالاجاشية
अनुवादों को प्रदर्शित करें

हदीस का संदेश

  1. लैलतुल क़द्र (सम्मानित रात्रि) की फ़ज़ीलत तथा उस रात में जाग कर इबादत करने की प्रेरणा।
  2. नेकी के कार्य उसी समय अल्लाह के यहाँ स्वीकार किए जाते हैं, जब उनको सच्ची नीयत के साथ किया जाए।
  3. अल्लाह का अनुग्रह तथा उसकी कृपा कि लैलतुल क़द्र (सम्मानित रात्रि) में ईमान और नेकी की आशा मन में लिए हुए इबादत करने से पिछले गुनाह माफ़ कर देता है।
अधिक