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عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم:
«مَنْ يُرِدِ اللهُ بِهِ خَيْرًا يُصِبْ مِنْهُ».

[صحيح] - [رواه البخاري] - [صحيح البخاري: 5645]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"जिसके साथ अल्लाह भलाई का इरादा करता है, उसे मुसीबतों में डालकर आज़माता है।"

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 5645]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि अल्लाह जब अपने किसी मोमिन बंदे के साथ भलाई का इरादा करता है, तो उसे उसकी जान, माल और परिवार से संबंधित किसी परेशानी में डालकर आज़माता है, क्योंकि इसके नतीजे में बंदा अल्लाह से गिड़गिड़ाकर दुआ करता है, बंदे के गुनाह माफ़ हो जाते हैं और उसके दर्जे ऊँचे कर दिए जाते हैं।

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हदीस का संदेश

  1. मोमिन को तरह-तरह की आज़माइशों का सामना करना पड़ता है।
  2. आज़माइश कभी-कभी बंदे से अल्लाह के प्रेम की निशानी होती है। अल्लाह बंदे को इस उद्देश्य से आज़माता है कि उसका दर्जा ऊँचा कर दे और उसके गुनाह माफ़ कर दे।
  3. कठिनाइयों एवं परीक्षा के समय धैर्य रखने और न घबराने की प्रेरणा।
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