عَنِ ابْنِ عُمَرَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا قَالَ:
حَفِظْتُ مِنَ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ عَشْرَ رَكَعَاتٍ: رَكْعَتَيْنِ قَبْلَ الظُّهْرِ، وَرَكْعَتَيْنِ بَعْدَهَا، وَرَكْعَتَيْنِ بَعْدَ المَغْرِبِ فِي بَيْتِهِ، وَرَكْعَتَيْنِ بَعْدَ العِشَاءِ فِي بَيْتِهِ، وَرَكْعَتَيْنِ قَبْلَ صَلاَةِ الصُّبْحِ، وَكَانَتْ سَاعَةً لاَ يُدْخَلُ عَلَى النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فِيهَا، حَدَّثَتْنِي حَفْصَةُ أَنَّهُ كَانَ إِذَا أَذَّنَ المُؤَذِّنُ وَطَلَعَ الفَجْرُ صَلَّى رَكْعَتَيْنِ، وَفِي لَفْظٍ: أَنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ كَانَ يُصَلِّي بَعْدَ الْجُمُعَةِ رَكْعَتَيْنِ.
[صحيح] - [متفق عليه بجميع رواياته] - [صحيح البخاري: 1180]
المزيــد ...
अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अनहुमा से रिवायत है, वह कहते हैं :
मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से दस रकात सीखी हैं। ज़ोहर से पहले दो रकात, उसके बाद दो रकात, मग्रिब के बाद घर में दो रकात, इशा के बाद घर में दो रकात और सुबह की नमाज़ से पहले दो रकात। दरअसल यह ऐसा समय था, जब अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के यहाँ कोई जाता नहीं था। मुझे हफ़सा ने बताया कि जब मुअज़्ज़िन अज़ान देता और फ़ज्र नमूदार हो जाता, तो आप दो रकात पढ़ते। जबकि एक स्थान में है : अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जुमा के बाद दो रकात पढ़ते थे।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने तमाम रिवायतों के साथ नक़ल किया है।] - [صحيح البخاري - 1180]
अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अनहुमा बता रहे हैं कि उन्होंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से जो नफ़ल नमाज़ें सीखी हैं, उनकी संख्या दस रकात है। इन नवाफ़िल को सुनन-ए-रवातिब कहा जाता है। दो रकात ज़ोहर से पहले और दो रकात ज़ोहर के बाद। दो रकात मग़रिब के बाद घर में। दो रकात इशा के बाद घर में। दो रकात फ़ज्र से पहले। इस तरह कुल दस रकात हुईं। रही बात जुमे की नमाज़ की, तो उसके बाद आप दो रकात पढ़ा करते थे।