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عن حذيفة بن اليمان رضي الله عنهما قال: «كان رسول الله صلى الله عليه وسلم إِذَا قَام من اللَّيل يُشُوصُ فَاهُ بِالسِّوَاك».
[صحيح] - [متفق عليه]
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हुज़ैफ़ा बिन यमान (रज़ियल्लाहु अंहुमा) कहते हैंः अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब रात को सोकर उठते, तो अपने मुँह को मिसवाक से रगड़कर साफ़ करते।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के स्वच्छता से लगाव और बदबू से घृणा का एक उदाहरण यह है कि जब रात को सोकर उठते, जिसमें मुँह से बास आने की संभावना रहती है, तो अपने दाँतों को मिस्वाक से रगड़ते, ताकि बास ख़त्म हो जाए, नींद का प्रभाव कम हो जाए तथा तबीयत नमाज़ के लिए आमादा हो जाए। क्योंकि मिस्वाक से सफाई के साथ-साथ चुस्ती और फुरती भी आती है।

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