उपश्रेणियाँ

हदीस सूची

मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से दस रकात सीखी हैं*। ज़ोहर से पहले दो रकात, उसके बाद दो रकात, मग्रिब के बाद घर में दो रकात, इशा के बाद घर में दो रकात और सुबह की नमाज़ से पहले दो रकात। दरअसल यह ऐसा समय था, जब अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के यहाँ कोई जाता नहीं था। मुझे हफ़सा ने बताया कि जब मुअज़्ज़िन अज़ान देता और फ़ज्र नमूदार हो जाता, तो आप दो रकात पढ़ते। जबकि एक स्थान में है : अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जुमा के बाद दो रकात पढ़ते थे।
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"अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं, अरबों का विनाश उस बुराई से होना है, जो निकट आ गई है। आज याजूज और माजूज की दीवार में इतना छेद हो गया है।"* तथा आपने अंगूठे और उससे सटी हुई उँगली का गोला बनाकर दिखाया। मैंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल, क्या हम हलाक कर दिए जाएँगे, जबकि हमारे बीच सदाचारी लोग भी होंगे? फ़रमाया : "हाँ, जब पाप बढ़ जाएगा।"
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मैं तथा अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जुंबी होते और एक ही बर्तन से स्नान कर लेते थे। मैं माहवारी में होती और आपके आदेश से लंगोटा बाँध लेती, फिर आप मुझसे मुबाशिरत करते।* इसी तरह, आप ऐतिकाफ़ में होते और अपना सर मेरी ओर निकाल देते एवं मैं उसे धो देती, जबकि मैं माहवारी में होती थी।
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