عن عبد الله بن عمر رضي الله عنهما مرفوعاً: "من حلف بغير الله قد كفر أو أشرك"
[صحيح] - [رواه الترمذي وأبو داود وأحمد]
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अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "जिसने अल्लाह के सिवा किसी और की क़सम खाई, उसने क़ुफ़्र अथवा शिर्क किया।"
सह़ीह़ - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इस हदीस में बताया है कि जिसने अल्लाह के सिवा किसी सृष्टि की कसम खाई, उसने उस सृष्टि को अल्लाह का साझी ठहराया और अल्लाह के साथ कुफ्र किया, क्योंकि किसी वस्तु की कसम खाने का अर्थ है उसे महान समझना, जबकि वास्तविकता यह है कि सारी महानता अल्लाह के लिए है। अतः, क़सम या तो अल्लाह की खाई जाएगी या उसके किसी गुण की।

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हदीस का संदेश

  1. अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की कसम खाना हराम है, बल्कि वह शिर्क और अल्लाह के साथ कुफ्र है।
  2. कसम के द्वारा सम्मान दिया जाना केवल अल्लाह का अधिकार है, इसलिए कसम केवल उसी की खाई जाएगी।
  3. अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की कसम खा लेने पर कोई कफ़्फ़ारा नहीं है, इसलिए कि इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन उसपर तौबा और क्षमा याचना करना अनिवार्य है।
  4. अल्लाह के अतिरिक्त किसी और की कसम खाना छोटा शिर्क है। यह भी कहा जाता है कि यह बड़ा शिर्क है, लेकिन सही बात यही है कि यह छोटा शिर्क है और अधिकांश उलेमा का यही मत है।
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