عن محمود بن لبيد رضي الله عنه مرفوعاً: "أَخْوَفُ ما أخاف عليكم: الشرك الأصغر، فسئل عنه، فقال: الرياء".
[صحيح] - [رواه أحمد]
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महमूद बिन लबीद (रज़ियल्लाहु अन्हु) अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमायाः "मुझे तुम्हारे बारे में जिस वस्तु का भय सबसे अधिक है, वह है, छोटा शिर्का।" आपसे उसके बारे में पूछा गया, तो फ़रमायाः "दिखावे के लिए काम करना।"
सह़ीह़ - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस हदीस में अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बता रहे हैं कि आपको हमारे बारे में भय है तथा आपको हमारे बारे में जिस वस्तु का भय सबसे अधिक है, वह है छोटा शिर्क। इस भय का कारण यह है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपनी उम्मत के प्रति बड़े दयालु थे तथा उसके सुधार के लिए हर समय चिंतित रहते थे। साथ ही आपको पता था कि छोटे शिर्क अर्थात दिखावे के साधन बड़े बलशाली हैं और उसकी ओर ले जाने वाले रास्ते अनेकों हैं, अतः वह मुसलमानों के अंदर इस तरह घुस आएगा कि उन्हें पता भी नहीं चलेगा और इस तरह वह उनका नुक़सान कर जाएगा। इसलिए आपने उन्हें इससे सावधान कर दिया और उन्हें इसकी चेतावनी दे दी।

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हदीस का संदेश

  1. दिखावा, नेक लोगों की नज़र में दज्जाल के फ़ितने से भी ज्यादा भयावह है।
  2. इसमें दिखावे से खास कर और शिर्क से आम तौर पर सावधान किया गया है।
  3. इससे आप (सल्ल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अपनी उम्मत से असीम प्रेम और उसकी हिदायत और शुभचिंता का पता चलता है।
  4. शिर्क दो प्रकार का होता है। एक है महाशिर्क, जो यह है कि अल्लाह तआला की खास विशेषताओं में से किसी विशेषता में किसी अन्य को बराबर ठहराया जाए। दूसरा लघुशिर्क है, जो यह है कि कोई ऐसा काम किया जाए जिसपर शरीयत से यह प्रमाण मौजूद हो कि वह शिर्क है और वह महाशिर्क की श्रेणी में न आता हो। दोनों में पहला अंतर यह है कि महाशिर्क सभी नेक कर्मों को बर्बाद कर देता है, जबकि लघुशिर्क उसी कर्म को बर्बाद करता है जो उसके साथ मिला हुआ हो। दूसरा अंतर यह है कि महाशिर्क करने वाला हमेशा जहन्नम में रहेगा, जबकि लघुशिर्क करने वाला हमेशा जहन्नम में नहीं रहेगा। दोनों में तीसरा अंतर यह है कि महाशिर्क मिल्लत से निकाल बाहर करता है, जबकि लघुशिर्क मिल्लत से बाहर नहीं करता।
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