عن ثَوْبَان رضي الله عنه قال: كان رسول الله صلى الله عليه وسلم إذا انْصَرف من صلاته اسْتَغْفَر ثلاثا، وقال: «اللهُمَّ أنت السَّلام ومِنك السَّلام، تَبَارَكْتَ يا ذا الجَلال والإكْرَام».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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स़ौबान- रज़ियल्लाहु अन्हु- से वर्णित है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- जब नमाज़ समाप्त करते तो तीन बार अस्तग़फिरुल्लाह कहते, और यह दुआ पढ़तेः अल्लाहुम्मा अंतस्सलाम व मिनकस्सलाम, तबारकता या ज़लजलालि वल इकराम (ऐ अल्लाह तू ही सलामती वाला है और तेरी ओर से ही सलामती है, तू बरकत वाला है ऐ महानता और सम्मान वाले)।
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।
इस हदीस में नमाज़ की समाप्ति के बाद तीन बार असतग़फ़िरुल्लाह कहने और उसके बाद यह दुआ पढ़ने के मुसतहब होने का उल्लेख है : "اللَّهُمَّ أَنْتَ السَّلَامُ وَمِنْك السَّلَامُ، تَبَارَكْتَ يَا ذَا الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ." (ऐ अल्लाह तू ही सलामती वाला है और तेरी ओर से ही सलामती है, तू बरकत वाला है ऐ महानता और सम्मान वाले)। वैसे, अन्य हदीसों में नमाज़ के बाद पढ़ने की दूसरी कई दुआएँ आई हुई हैं।