عن أبي هريرة رضي الله عنه عن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: "كَلِمَتَانِ خفيفتان على اللسان، ثقيلتان في الميزان، حبيبتان إلى الرحمن: سبحان الله وبحمده، سبحان الله العظيم".
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहुा अन्हु) से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : “दो शब्द रहमान (अल्लाह) को बड़े प्रिय हैं, ज़ुबान पर बड़े हलके हैं और तराज़ू में बड़े भारी होंगे : सुबहानल्लाहि व बिहम्दिहि, सुबहानल्लाहिल अज़ीम (अल्लाह पाक है अपनी प्रशंसा समेत, पाक है अल्लाह जो बड़ा महान है)।”
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस हदीस में बताया है कि हमारे बरकत वाले एवं महान रब को, जो अति दयावान है, ये दो वाक्य, जो कम शब्दों वाले होने के साथ-साथ तराज़ू में भारी हैं, बड़े प्रिय हैं : "سبحان الله وبحمده" (अल्लाह पाक है अपनी प्रशंसा समेत) तथा "سبحان الله العظيم" (पाक है अल्लाह, जो बड़ा महान है)। कयोंकि इन दो वाक्यों में अल्लाह को कमियों-खामियों एवं उसके प्रताप और महानता से मेल न खाने वाली तमाम चीज़ों से पवित्र घोषित करने के साथ-साथ इस पवित्रता के बयान में ताकीद पैदा करने के लिए महानता की विशेषता से विशेषित भी किया गया है।