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عَنْ جُوَيْرِيَةَ أُمِّ المؤْمنينَ رَضيَ اللهُ عنها:
أَنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ خَرَجَ مِنْ عِنْدِهَا بُكْرَةً حِينَ صَلَّى الصُّبْحَ، وَهِيَ فِي مَسْجِدِهَا، ثُمَّ رَجَعَ بَعْدَ أَنْ أَضْحَى، وَهِيَ جَالِسَةٌ، فَقَالَ: «مَا زِلْتِ عَلَى الْحَالِ الَّتِي فَارَقْتُكِ عَلَيْهَا؟» قَالَتْ: نَعَمْ، قَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: «لَقَدْ قُلْتُ بَعْدَكِ أَرْبَعَ كَلِمَاتٍ، ثَلَاثَ مَرَّاتٍ، لَوْ وُزِنَتْ بِمَا قُلْتِ مُنْذُ الْيَوْمِ لَوَزَنَتْهُنَّ: سُبْحَانَ اللهِ وَبِحَمْدِهِ، عَدَدَ خَلْقِهِ وَرِضَا نَفْسِهِ وَزِنَةَ عَرْشِهِ وَمِدَادَ كَلِمَاتِهِ».

[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 2726]
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मुसलमानों की माता जुवैरिया -रज़ियल्लाहु अनहा- का वर्णन है कि :
वह नमाज़ पढ़ने के बाद उसी जगह बैठी थीं कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- उनके पास से सुबह के समय फ़ज्र की नमाज़ पढ़ने के बाद निकले। फिर सूरज ऊपर चढ़ जाने के बाद लौटे, तो वह उसी जगह बैठी थीं। यह देख आपने कहा : "मैं तुम्हें जिस हाल पर छोड़ गया था, अभी तक तुम उसी हाल पर होॽ" उन्होंने हाँ में जवाब दिया, तो नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने कहा : "मैंने तुम्हारे पास से जाने के बाद चार शब्द तीन बार कहे हैं। यदि उन्हें आज तुमने जो अज़कार पढ़े हैं, उनसे तौला जाए, तो वे चार शब्द भारी साबित होंगे। वे चार शब्द हैं : (मैं अल्लाह की पवित्रता बयान करता हूँ उसकी प्रशंसा के साथ, उसकी रचनाओं की संख्या के बराबर, उसकी प्रसन्नता के बराबर, उसके सिंहासन के वज़न के बराबर और उसके शब्दों को लिखने की रोशनाई के बराबर।)

[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 2726]

व्याख्या

अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- अपनी पत्नी तथा मुसलमानों की माता जुवैरिया -रज़ियल्लाहु अनहा- के यहाँ से सुबह फ़ज्र की नमाज़ पढ़कर निकले। उस समय वह नमाज़ के स्थान ही में बैठी हुई थीं। जब आप दोपहर के समय वापस आए, तो देखा कि वह उसी जगह बैठी हुई हैं। अतः फ़रमाया : तुम अभी तक उसी अवस्था में हो जिसपर मैं तुमको छोड़ गया था? उन्होंने उत्तर दिया : जी हाँ। उनका उत्तर सुन आपने कहा : मैंने तुम्हारे पास से निकालने के बाद चार शब्द कहे हैं और उन्हें तीन-तीन बार दोहराया है। यदि सवाब के मामले में उनकी तुलना तुम्हारे कहे हुए उन शब्दों से किया जाए जिन्हें तुमने यहाँ बैठकर पूरे समय में कहा है, तो मेरे कहे हुए शब्द भारी साबित हों। वो शब्द इस प्रकार हैं :

हदीस का संदेश

  1. इन शब्दों की फ़ज़ीलत का बयान और इन्हें कहने की प्रेरणा।
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