हदीस सूची

जिसने सूरा बक़रा की अंतिम दो आयतें रात में पढ़ लीं, वह उसके लिए काफ़ी हो जाती हैं।
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ऐ अल्लाह! हमने तेरे (अनुग्रह के) साथ सुबह की और तेरे ही (अनुग्रह के) साथ शाम की और हम तेरे ही अनुग्रह से जीते हैं और तेरे ही नाम पर मरते हैं, और हमें तेरी ही ओर उठकर जाना है।
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“सय्यदुल इस्तिग़फार (सर्वश्रेष्ठ क्षमायाचना)
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तुम सुबह-शाम तीन बार 'क़ुल हुवल्लाहु अह़द', 'क़ुल अऊज़ु बि-रब्बिल फ़लक़' और 'क़ुल अऊज़ु बि-रब्बिन्नास' पढ़ लिया करो। यह तीन सूरतें तुम्हारे लिए हर चीज़ से काफ़ी होंगी।
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जिसने तीन बार यह दुआ पढ़ी : "بِسْمِ اللَّهِ الَّذِي لَا يَضُرُّ مَعَ اسْمِهِ شَيْءٌ، فِي الْأَرْضِ، وَلَا فِي السَّمَاءِ، وَهُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ" (उस अल्लाह के नाम के साथ, जिसके नाम के साथ ज़मीन व आसमान में कोई चीज़ नुक़सान नहीं पहुँचाती और वह ख़ूब सुनने वाला सब कुछ जानने वाला है) उसपर सुबह तक अचानक कोई मुसीबत नहीं आएगी।
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अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) शाम के समय यह दुआ पढ़तेः "أمسينا وأمسى الملك لله، والحمد لله، لا إله إلا الله وحده لا شريك له
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"मैंने तेरे (पास से जाने के) बाद चार ऐसे शब्द कहे हैं कि यदि उनको तुम्हारे आज के तमाम अज़कार से तोला जाए, तो वह तुम्हारे अज़कार से अधिक भारी साबित होंगे। (वह शब्द हैंः) "सुबहानल्लाहि व बिह़म्दिहि, अददा ख़ल्क़िहि, व रिज़ा नफ़्सिहि, व ज़िनता अर्शिहि, व मिदादा कलेमातिहि।" (अल्लाह की पाकी और प्रशंसा है उसकी सृष्टि के समान, स्वयं उसकी प्रसन्नता के समान, उसके अर्श (सिंहासन) के वज़न के समान तथा उसके शब्दों की स्याही के समान।)
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