عن أبي بشير الأنصاري رضي الله عنه "أنه كان مع رسول الله صلى الله عليه وسلم في بعض أسفاره، فأرسل رسولا أن لا يَبْقَيَنَّ في رقبة بَعِيرٍ قِلادَةٌ من وَتَرٍ (أو قلادة) إلا قطعت".
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू बशीर -रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है कि वह एक यात्रा में नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के साथ थे। आपने एक व्यक्ति को भेजा कि किसी ऊँट के गले में कोई ताँत अथवा अन्य कोई वस्तु बंधी मिले, तो उसे रहने न दिया जाए, बल्कि काट दिया जाए।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।
नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने एक यात्रा के दौरान एक व्यक्ति को लोगों में यह एलान करने के लिए भेजा कि ऊँटों के गलों से उन ताँतों तथा अन्य वस्तुओं को हटा दिया जाए, जिन्हें बुरी नज़र अथवा बीमारियों से बचने के लिए बाँधा जाता है। क्योंकि ऐसा करना शिर्क है, जिसको मिटाना ज़रूरी है।