عن أبي بشير الأنصاري رضي الله عنه "أنه كان مع رسول الله صلى الله عليه وسلم في بعض أسفاره، فأرسل رسولا أن لا يَبْقَيَنَّ في رقبة بَعِيرٍ قِلادَةٌ من وَتَرٍ (أو قلادة) إلا قطعت".
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू बशीर -रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है कि वह एक यात्रा में नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के साथ थे। आपने एक व्यक्ति को भेजा कि किसी ऊँट के गले में कोई ताँत अथवा अन्य कोई वस्तु बंधी मिले, तो उसे रहने न दिया जाए, बल्कि काट दिया जाए।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने एक यात्रा के दौरान एक व्यक्ति को लोगों में यह एलान करने के लिए भेजा कि ऊँटों के गलों से उन ताँतों तथा अन्य वस्तुओं को हटा दिया जाए, जिन्हें बुरी नज़र अथवा बीमारियों से बचने के लिए बाँधा जाता है। क्योंकि ऐसा करना शिर्क है, जिसको मिटाना ज़रूरी है।

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हदीस का संदेश

  1. विपत्तियों से बचने के लिए ताँत लटकाना हराम है और तावीज़ लटकाने के हुक्म में है।
  2. लोगों को अक़ीदे की सुरक्षा संबंधित बातें बताना।
  3. क्षमता अनुसार गलत काम का इनकार करने की अनिवार्यता।
  4. ख़बर-ए-वाहिद यानी वह हदीस जिसके वर्णन शृंख्ला के सभी चरणों में वर्णनकर्ताओं की संख्या मुतवातिर हदीस तक न पहुँचती हो, का ग्रहण योग्य होना।
  5. पट्टों से, चाहे जैसे भी हों, लाभ का अक़ीदा रखने का असत्य होना।
  6. किसी शासक के प्रतिनिधि का उस शासक द्वारा सौंपी गई ज़िम्मेदारी में उसका कामय मुकाम होता है।
  7. समाज के मुखिया को लोगों की परिस्थियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, उनकी ख़बर रखनी चाहिए और उनके हालात पर नज़र रखना चाहिए।
  8. समाज के मुखिया का कर्तव्य है कि वह शरीयत के तक़ाज़ों के अनुसार लोगों पर शासन करे। यदि लोग कोई हराम काम करें, तो उन्हें रोके और यदि किसी आवश्यक कार्य के पालन में सुस्ती करें, तो उन्हें उसे करने की प्रेरणा दें।
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