عن عثمان بن عفان رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: «خَيرُكُم من تعلَّمَ القرآنَ وعلَّمَهُ».
[صحيح] - [رواه البخاري]
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उसमान बिन अफ़्फान (रजियल्लाहु अंहु) का वर्णन है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः तुम्हारे बीच सबसे उत्तम व्यक्ति वह है, जो खुद क़ुरआन सीखे और उसे दूसरों को सिखाए।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

"तुम्हारे बीच सबसे उत्तम व्यक्ति वह है, जो खुद क़ुरआन सीखे और उसे दूसरों को सिखाए।" यह संबोधन पूरी उम्मत के लिए आम है। अतः सबसे अच्छा इनसान वह है, जो अपने अंदर क़ुरआन सीखने तथा सिखाने के ये दो गुण रखता हो। वह किसी से सीखता हो और किसी को सिखाता हो। क्योंकि क़ुरआन सीखना सबसे उत्तम ज्ञानों में से एक ज्ञान है। याद रहे कि सीखने तथा सिखाने के अंदर शाब्दिक रूप से सीखना और आर्थिक रूप से सीखना दोनों शामिल हैं। अतः जिसने लोगों को क़ुरआन पढ़ना सिखाया और उनको क़ुरआन कंठस्थ कराया, वह सिखाने वालों में शामिल है। इसी तरह जिसने क़ुरआन पढ़ना सीखा और उसे कंठस्थ किया, वह सीखने वालों में शामिल है। जबकि क़ुरआन सिखाने का दूसरा प्रकार उसका अर्थ यानी तफ़सीर सिखाना है। मसलन कोई व्यक्ति लोगों के पास बैठे और उन्हें सर्वश्कितमान एवं महान अल्लाह की वाणी की तफ़सीर सिखाए और बताए कि क़ुरआन की तफ़सीर कैसे की जाती है। यदि कोई व्यक्ति दूसरों को बताए कि क़ुरआन की तफ़सीर कैसे की जाती है और उसे इसके सिद्धाँत बताए, तो उसका यह अमल क़ुरआन सिखाने में दाख़िल है।

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हदीस का संदेश

  1. क़ुरआन सीखने, उसे अच्छी तरह पढ़ने और उसे सिखाने की फ़ज़ीलत।
  2. क़ुरआन के अहकाम, शिष्टाचारों और नैतिकताओं पर अमल करने की फ़ज़ीलत।
  3. आलिम को चाहिए कि ज्ञान अर्जन करने के बाद उसे दूसरों सिखाए।
  4. जिसने क़ुरआन से संबंधित कुछ ज्ञान प्राप्त किया उसका सम्मान तथा उसने जो कुछ सीखा है उसके बदले में उसका दर्जा बुलंद किया जाना।
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