عن أبي موسى الأشعري رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال:
«تَعَاهَدُوا هَذَا الْقُرْآنَ، فَوَالَّذِي نَفْسُ مُحَمَّدٍ بِيَدِهِ لَهُوَ أَشَدُّ تَفَلُّتًا مِنَ الْإِبِلِ فِي عُقُلِهَا».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح مسلم: 791]
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अबू मूसा अशअरी रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"इस क़ुरआन को लगातार पढ़ते रहो। उस ज़ात की क़सम, जिसके हाथ में मेरी जान है, वह ऊँट के बंधन तोड़कर भागने की तेज़ी से भी अधिक तेज़ी से चला जाता है।"
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने क़ुरआन का ध्यान रखने और पाबंदी से उसकी तिलावत करने का आदेश दिया है, ताकि इन्सान उसे याद करने के बाद भूल न जाए। फिर इस बात में ज़ोर देने के लिए क़सम खाकर बताया कि क़ुरआन ऊँट के बंधन तोड़कर भागने से भी अधिक तेज़ी से इन्सान के सीने से निकल भागता है। इन्सान उसका ख़याल रखे तो वह रहता है और ध्यान न दे, तो भाग खड़ा होता है।