عن أبي هريرة رضي الله عنه مرفوعًا: «السَّاعِي على الأَرْمَلَةِ والمِسْكِينِ، كالمُجَاهِدِ في سبيل الله». وأَحْسَبُهُ قال: «وكالقائم الذي لا يَفْتُرُ، وكالصائم الذي لا يُفْطِرُ».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमाया "विधवाओं और निर्धनों के लिए दौड़धूप करने वाला अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले की तरह है।" और मुझे लगता है कि आपने यह भी कहा थाः "तथा उस तहज्जुदगुज़ार- रात्रि में नमाज़ पढ़ने वाले- की तरह है, जो थकता न हो और उस रोज़ेदार की तरह है, जो बहुत ज़यादा रोज़े रखता हो।"
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।
अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इस हदीस में बताया है कि वह आदमी जो किसी विधवा या ज़रूरतमंद अनाथ के साथ भलाई का मामला करता और उनपर खर्च करता है, तो उसे अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले, तहज्जुद की नमाज़ में बिना थकान महसूस किए खड़े रहने वाले और हमेशा रोज़ा रखने वाले के बराबर पुण्य मिलता है।