عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ قَالَ: قَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«السَّاعِي عَلَى الأَرْمَلَةِ وَالمِسْكِينِ، كَالْمُجَاهِدِ فِي سَبِيلِ اللَّهِ، أَوِ القَائِمِ اللَّيْلَ الصَّائِمِ النَّهَارَ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 5661]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"विधवाओं और निर्धनों के लिए दौड़-धूप करने वाला अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले की तरह है, या रात में उठकर नमाज़ पढ़ने वाले, दिन में रोज़ा रखने वाले की तरह है।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 5661]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि जो व्यक्ति किसी ऐसी विधवा स्त्री के हितों की रक्षा के लिए खड़ा हो, जिसकी देख-रेख करने वाला कोई न हो, इसी तरह किसी ज़रूरतमंद निर्धन की मदद के लिए आगे आए और इस तरह के लोगों पर इस विश्वास के साथ खर्च करे कि इसका बदला अल्लाह के यहाँ मिलने वाला है, तो वह प्रतिफल के मामले में अल्लाह के मार्ग में युद्ध करने वाले या थके बिना तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने वाले एवं निरंतर रोज़ा रखने वाले की तरह है जो कभी रोज़ा न छोड़े।