عن أبي مسعود البدري رضي الله عنه مرفوعاً: «إذا أَنْفَقَ الرجلُ على أهله نَفَقَةً يَحْتَسِبُهَا فهي له صَدَقَةٌ».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू मसऊद बदरी- अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- से मरफ़ूअन वर्णित है : "जब कोई आदमी अपने घर वालों पर, नेकी व सवाब की उम्मीद रखते हुए खर्च करता है, तो यह उसके लिए सदक़ा होता है।"
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।
जब कोई व्यक्ति अल्लाह की निकटता की प्राप्ति एवं उसके प्रतिफल की आशा में अपनी पत्नी एवं संतान आदि परिवार के ऐसे लोगों पर खर्च करता है, जिनपर खर्च करना उसकी ज़िम्मेदारी है, तो उसे इस खर्च के बदले में निर्धनों आदि पर सदक़ा करने का प्रतिफल मिलेगा।