عن أبي الهياج الأسدي قال: قال لي علي رضي الله عنه : «ألا أَبْعَثُك على ما بَعَثَني عليه رسول الله صلى الله عليه وسلم ؟ أن لا تَدْعَ صُورَةً إلا طَمَسْتَها، ولا قَبْرًا مُشْرِفًا إلا سَوَّيْتَه».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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अबू हय्याज असदी कहते हैं कि अली (रज़ियल्लाहु अंहु) ने मुझसे फ़रमायाः क्या मैं तुम्हें उस मुहिम पर न भेजूँ, जिसपर अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मुझे भेजा था? आपने मुझे आदेश दिया था कि तुम्हें जो भी चित्र मिले, उसे मिटा डालना और जो भी ऊँची क़ब्र मिले, उसे बराबर कर देना।
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस्लाम चाहता है कि शिर्क के सभी खुले तथा छिपे दरवाज़े बंद कर दिए जाएँ। यही कारण है कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने अली -रज़ियल्लाहु अनहु- को यह आदेश देकर भेजा था कि जो भी चित्र मिले उसे मिटा दें, क्योंकि एक तो उसमें अल्लाह की रचना की समानता पाई जाती है, साथ ही उसके सम्मान के रास्ते मूर्ति पूजा शुरू होने का भय रहता है। उन्हें आपने यह भी आदेश दिया था कि क़ब्र के ऊपर बने भवन आदि तथा अनुमति से अधिक ऊँची क़ब्रों को गिरा दें, क्योंकि इससे क़ब्र में सोए लोगों को अल्लाह का साझी बनाकर, उनकी इबादत करने तथा उनका अनावश्यक सम्मान करने का सिलसिला आरंभ होने का डर रहता है। यह सब कुछ मुसलमानों को इस्लाम पर क़ायम रखने और उनके अक़ीदे (आस्था) को पवित्र एवं स्वच्छ रखने के लिए है, क्योंकि चित्र बनाने और क़ब्र के ऊपर भवन बनाने से उन्हें सम्मान का पात्र समझने तथा उन्हें अल्लाह के अधिकार दिए जाने का मार्ग खुल जाता है।

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من فوائد الحديث

  1. हर तरह की तसवीरों का हराम होना और उनको हटाने की अनिवार्यता।
  2. एक-दूसरे को सत्य की वसीयत करना, भलाई का आदेश देना बुराई से रोकना और ज्ञान का प्रचार प्रसार करना।
  3. क़ब्रों पर भवन का निर्माण या किसी और तरह से उन्हें ऊँचा करने का हराम होना। क्योंकि यह शिर्क है।
  4. क़ब्रों पर बने हुए गुंबदों का ढहाने का ज़रूरी होना।
  5. क़ब्रों पर गुंबदों के निर्माण की तरह चित्र भी शिर्क का साधन है।
  6. क़ब्रों को उल्लिखित मात्रा से अधिक ऊँची करने में यह बात भी दाखिल है कि उनपर बड़े-बड़े या फिर रंगीन एवं अलंकृत झंडे लगा दिए जाएँ।
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