عن أنس بن مالك رضي الله عنه مرفوعاً: أن النبي صلى الله عليه وسلم كان لا يَرُدُّ الطيب.
[صحيح] - [رواه البخاري]
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अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है, उन्होंने फरमाया कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ख़ुश्बू वापस नहीं करते थे।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की एक आदत यह थी कि आप खुशबू को वापस नहीं करते और उसके लेने से इनकार नहीं करते थे। क्योंकि इसका साथ रखना आसान है और यह सुगंध भी देती है। यह बात एक अन्य रिवायत से साबित है।

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हदीस का संदेश

  1. खुशबू की भेंट स्वीकार करना मुसतहब है। क्योंकि इसे उठाना कुछ कठिन नहीं है और इसे ग्रहण करने में उपकार जैसी कोई बात नहीं है।
  2. खुशबू चाहत रखने और उसे लेने से इनकार न करने के मामले में अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की उच्च नैतिकता।
  3. इनसान को हमेशा खुशबू का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि खुशबू बंदे की पवित्रता की निशानी है। पवित्र चीज़ें पवित्र लोगों के लिए हैं और पवित्र लोग पवित्र चीज़ों के लिए हैं।
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