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عن عَائِشَةَ رضيَ الله عنها قالت: إِنِّي سمعْتُ رسولَ الله صلى الله عليه وسلم يقول:
«لَا صَلَاةَ بِحَضْرَةِ الطَّعَامِ، وَلَا هُوَ يُدَافِعُهُ الْأَخْبَثَانِ».

[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 560]
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आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है, वह कहती हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कहते हुए सुना है :
"खाने की मौजूदगी में नमाज़ न पढ़ी जाए और न उस समय जब इन्सान को पेशाब-पाखाना की हाजत सख़्त हो।"

[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 560]

व्याख्या

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने खाने की उपस्थिति में नमाज़ पढ़ने से मना किया है कि इन्सान खाने पर अटका हुआ रहे और वह पूरी एकाग्रता के साथ नमाज़ न पढ़ सके।
इसी तरह जब बहुत ज़ोरों के साथ पेशाब-पाखाना लगा हुआ हो, तो उस समय भी नमाज़ पढ़ने से मना किया है, क्योंकि आदमी का ध्यान बटा हुआ रहता है।

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हदीस का संदेश

  1. इन्सान को नमाज़ में दाख़िल होने से पहले उन तमाम चीज़ों से दूर हो जाना चाहिए, जो उसका ध्यान बाँटने का काम करती हैं।
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