عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم:
«لَأَنْ أَقُولَ: سُبْحَانَ اللهِ، وَالْحَمْدُ لِلهِ، وَلَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ، وَاللهُ أَكْبَرُ، أَحَبُّ إِلَيَّ مِمَّا طَلَعَتْ عَلَيْهِ الشَّمْسُ».
[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 2695]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"सुबहानल्लाह, अल-हम्दु लिल्लाह, ला इलाहा इल्लल्लाह और अल्लाहु अकबर कहना, मेरे निकट उन सारी चाज़ों की तुलना में अधिक उत्तम है, जिनपर सूरज निकलता है।"
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 2695]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि इन महत्वपूर्ण शब्दों द्वारा अल्लाह का ज़िक्र करना दुनिया और उसकी सारी चीज़ों से बेहतर है। ये शब्द इस प्रकार हैं :
"सुबहानल्लाह" : इन शब्दों द्वारा तमाम कमियों से अल्लाह की पाकी बयान की जाती है।
"अल-हम्दु लिल्लाह" : अल्लाह की यह प्रशंसा कि वह अपने सारे गुणों में संपूर्ण है। साथ में उससे मोहब्बत तथा उसका सम्मान भी हो।
"ला इलाहा इल्लल्लाह" : अल्लाह के सिवा कोई सच्चा पूज्य नहीं है।
"अल्लाहु अकबर" : अल्लाह हर चीज़ से बड़ा तथा शक्तिशाली है।