عن أبي سعيد الخدري رضي الله عنه أن رسول الله -صلى الله وعليه وسلم- قال: «لا ضَرَرَ ولا ضِرَارَ».
[صحيح] - [رواه ابن ماجه من حديث أبي سعيد الخدري -رضي الله عنه- ومن حديث عبادة بن الصامت -رضي الله عنه-.
ورواه أحمد من حديث عبادة بن الصامت -رضي الله عنه-.
ورواه مالك من حديث عمرو بن يحي المازني مرسلا]
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अबू सईद खुदरी- रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः न (किसी की अकारण) हानि करना है, न बदले में हानि करना है।
सह़ीह़ - इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।
यह हदीस धर्म विधानों, आचरण से संबंधित सिद्धांतों और लोगों से साथ लेन-देन का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रस्तुत करती है। सिद्धांत यह है कि लोगों को हर प्रकार की हानि से बचाया जाए। क्योंकि किसी को हानि पहुँचाना हराम है और उसे दूर करना वाजिब है। इसी तरह यह कि हानि को हानि के द्वारा दूर नहीं किया जाएगा तथा एक-दूसरे का नुक़सान करना हराम है।