عَنْ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ مَالِكٍ ابْنِ بُحَيْنَةَ رضي الله عنه:
أَنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ كَانَ إِذَا صَلَّى فَرَّجَ بَيْنَ يَدَيْهِ حَتَّى يَبْدُوَ بَيَاضُ إِبْطَيْهِ.
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 390]
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अब्दुल्लाह बिन मालिक बिन बुहैना रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि :
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब नमाज़ पढ़ते, तो (सजदे की अवस्था में) अपने दोनों बाज़ुओं को इतना हटाकर रखते कि आपकी बगलों का उजलापन प्रकट हो जाता।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 390]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब सजदा करते, तो सजदे के दौरान दोनों हाथों को पहलुओं से इतना ज़्यादा अलग रखते कि दोनों बगलों की चमड़ी की सफ़ेदी नज़र आ जाती। यह दरअसल दोनों बाज़ुओं को दोनों पहलुओं से अलग रखने में अतिशयोक्ति है।