+ -

عَنْ زِيَادِ بْنِ لَبِيدٍ رضي الله عنه قَالَ:
ذَكَرَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ شَيْئًا، فَقَالَ: «ذَاكَ عِنْدَ أَوَانِ ذَهَابِ الْعِلْمِ» قُلْتُ: يَا رَسُولَ اللَّهِ، وَكَيْفَ يَذْهَبُ الْعِلْمُ، وَنَحْنُ نَقْرَأُ الْقُرْآنَ وَنُقْرِئُهُ أَبْنَاءَنَا وَيُقْرِئُهُ أَبْنَاؤُنَا أَبْنَاءَهُمْ إِلَى يَوْمِ الْقِيَامَةِ؟ قَالَ: «ثَكِلَتْكَ أُمُّكَ زِيَادُ، إِنْ كُنْتُ لَأُرَاكَ مِنْ أَفْقَهِ رَجُلٍ بِالْمَدِينَةِ، أَوَلَيْسَ هَذِهِ الْيَهُودُ وَالنَّصَارَى يَقْرَؤونَ التَّوْرَاةَ وَالْإِنْجِيلَ، لَا يَعْمَلُونَ بِشَيْءٍ مِمَّا فِيهِمَا؟!».

[صحيح لغيره] - [رواه ابن ماجه] - [سنن ابن ماجه: 4048]
المزيــد ...

ज़ियाद बिन लबीद रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा :
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने किसी चीज़ का ज़िक्र किया और फ़रमाया : "यह उस समय होगा, जब ज्ञान चला जाएगा।" मैंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! ज्ञान कैसे चला जाएगा, जबकि हम क़ुरआन पढ़ रहे हैं, अपने बच्चों को पढ़ा रहा है और हमारे बच्चे अपने बच्चों को क़यामत के दिन तक पढ़ाते रहेंगे? आपने फ़रमाया : "ऐ ज़ियाद! तुम्हारी माँ तुमपर रोए। मैं तो तुमको मदीने के सबसे समझदार लोगों में से समझता था। क्या ये यहूदी तथा ईसाई तौरात तथा इंजील को पढ़ते नहीं हैं, जबकि दूसरी तरफ़ हक़ीक़त यह है के ये लोग इन दोनों किताबों की शिक्षाओं पर अमल नहीं करते?"

[सह़ीह़ लि-ग़ैरिही (अन्य सनदों अथवा रिवायतों से मिलकर सह़ीह़)] - [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।] - [سنن ابن ماجه - 4048]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपने साथियों के बीच बैठे हुए थे कि इसी दौरान फ़रमाया कि अमुक बात उस समय होगी, जब लोगों से ज्ञान छीन लिया जाएगा, तथा उसे उठा लिया जाएगा। इससे ज़ियाद बिन लबीद अंसारी को आश्चर्य हुआ तो उन्होंने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछ लिया। ज्ञान हमसे कैसे छीना जएगा तथा उठा लिया जाएगा, जबकि हमने क़ुरआन को पढ़ा और याद कर लिया है और अल्लाह की क़सम आगे भी पढ़ते रहेंगे, फिर हम उसे अपनी औरतों और बच्चों को भी पढ़ाएँगे और हमारे बच्चे अपने बच्चों को पढ़ाएँगे? इसपर अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए फ़रमाया : ऐ ज़ियाद! तुम्हारी माँ तुमको गुम करे, मैं तो तुमको मदीने के विद्वानों में गिनता था। इसके बाद अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने स्पष्ट रूप से बता दिया ज्ञान के उठ जाने का अर्थ क़ुरआन का उठ जाना नहीं है। अपितु ज्ञान के उठ जाने का अर्थ क़ुरआन पर अमल का खत्म हो जाना है। क्योंकि यहूदियों एवं ईसाइयों के पास तौरात एवं इंजील मौजूद है, लेकिन इससे उनको कोई लाभ न हुआ और वे उसके असल उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सके। उन्हों अपने ज्ञान के अनुसार अमल नहीं किया।

अनुवाद: अंग्रेज़ी उर्दू स्पेनिश इंडोनेशियाई उइग़ुर बंगला फ्रेंच तुर्की रूसी बोस्नियाई सिंहली वियतनामी तगालोग कुर्दिश होसा पुर्तगाली मलयालम तिलगू सवाहिली तमिल बर्मी थाई जर्मन पशतो असमिया अल्बानियाई السويدية الأمهرية الهولندية الغوجاراتية Kirgisisch النيبالية Yoruba الليتوانية الدرية الصربية الصومالية الطاجيكية Kinyarwanda الرومانية المجرية التشيكية Malagasy इतालवी Oromo Kanadische Übersetzung Aserbaidschanisch الأوزبكية الأوكرانية
अनुवादों को प्रदर्शित करें

हदीस का संदेश

  1. अगर अमल न हो, तो साथ में मुसहफ़ (ग्रंथ) एवं किताबें रहने का कोई फ़ायदा नहीं है।
  2. ज्ञान को उठा लिए जाने का कार्य कई बातों के माध्यम से होगा, जिनमें नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मृत्यु, उलेमा की मृत्यु और ज्ञान पर अमल न करना आदि शामिल हैं।
  3. क़यामत की निशानियों में से एक निशानी ज्ञान का चला जाना और उसपर अमल न करना है।
  4. सीखे हुए ज्ञान पर अमल करने की प्रेरणा, क्योंकि वही असल उद्देश्य है।
अधिक