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عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم:
«أَكْمَلُ الْمُؤْمِنِينَ إِيمَانًا أَحْسَنُهُمْ خُلُقًا، وَخَيْرُكُمْ خَيْرُكُمْ لِنِسَائِهِمْ».

[حسن] - [رواه أبو داود والترمذي وأحمد] - [سنن الترمذي: 1162]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"सबसे सम्पूर्ण ईमान वाला व्यक्ति वह है, जो सबसे अच्छे आचरण वाला हो और तुम्हारे अंदर सबसे उत्तम व्यक्ति वह है, जो अपनी पत्नियों के हक़ में सबसे अच्छा हो।"

ह़सन - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि सबसे संपूर्ण आचरण वाला व्यक्ति वह है, जिसका आचरण सबसे अच्छा हो। आचरण अच्छा होने का मतलब यह है कि हँसकर मिला जाए, लोगों का भला किया जाए, अच्छे ढंग से बात की जाए और किसी को कष्ट देने से बचा जाए।
जबकि सबसे उत्तम ईमान वाला व्यक्ति वह है, जो अपने घर की औरतों, मसलन, पत्नी, बेटियों, बहनों और अन्य रिश्तेदार महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार करता हो। क्योंकि यह औरतें अच्छे आचरण की सबसे अधिक हक़दार हैं।

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हदीस का संदेश

  1. अच्छे आचरण की फ़ज़ीलत तथा उसका ईमान का अंग होना।
  2. अमल भी ईमान का अंग है और ईमान घटता तथा बढ़ता है।
  3. इस्लाम का औरत को सम्मान देना तथा उसके साथ अच्छा व्यवहार करना की प्रेरणा।
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