عَنْ جَابِرِ بْنِ عَبْدِ اللَّهِ رضي الله عنهما أَنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«لَا تَعَلَّمُوا الْعِلْمَ لِتُبَاهُوا بِهِ الْعُلَمَاءَ، وَلَا لِتُمَارُوا بِهِ السُّفَهَاءَ، وَلَا تَخَيَّرُوا بِهِ الْمَجَالِسَ، فَمَنْ فَعَلَ ذَلِكَ، فَالنَّارُ النَّارُ».
[صحيح] - [رواه ابن ماجه] - [سنن ابن ماجه: 254]
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जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"ज्ञान इसलिए न अर्जित करो कि उलेमा से बहस कर सको और अज्ञान लोगों से झगड़ सको। इसके द्वारा सभाओं में श्रेष्ठ स्थानों पर क़ब्ज़ा न करो। जिसने ऐसा किया, उसका ठिकना जहन्नम है, उसका ठिकाना जहन्नम है।"
[सह़ीह़] - [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।] - [سنن ابن ماجه - 254]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस उद्देश्य से ज्ञान अर्जित करने से मना किया है कि उलेमा से बहस की जाए और बताया जाए कि मैं भी तुम्हारे जैसा आलिम हूँ अथवा अज्ञान तथा नादान लोगों से बहस की जाए। इस नीयत से भी ज्ञान अर्जित करने से मना किया है कि सभाओं में आगे बैठने का अवसर मिले। जिसने ऐसा किया वह अपनी रियाकारी (दिखावा) के कारण जहन्नम का हक़दार होगा।