+ -

عن عبد الله بن عمرو رضي الله عنهما أن النبي صلى الله عليه وسلم قال:
«بَلِّغُوا عَنِّي وَلَوْ آيَةً، وَحَدِّثُوا عَنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَلَا حَرَجَ، وَمَنْ كَذَبَ عَلَيَّ مُتَعَمِّدًا فَلْيَتَبَوَّأْ مَقْعَدَهُ مِنَ النَّارِ».

[صحيح] - [رواه البخاري] - [صحيح البخاري: 3461]
المزيــد ...

अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"मेरी ओर से मिली वाणी दूसरों तक पहुँचा दो, चाहे एक आयत ही हो, तथा इसराईली वंश के लोगों की घटनाओं का वर्णन करो, इसमें कोई हर्ज नहीं है, तथा जिसने मुझपर जान-बूझकर झूठ बोला, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।"

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 3461]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आपकी ओर से ज्ञान पहुँचाने का आदेश दे रहे हैं, जो क़ुरआन के रूप में हो या हदीस के रूप में, चाहे वह ज्ञान थोड़ा-सा मसलन क़ुरआन की एक आयत या एक हदीस ही क्यों न हो। शर्त यह है कि पहुँचाने वाला उस चीज़ को जानता हो, जिसे वह पहुँचाना चाहता है। फिर आपने बताया कि बनी इसराईल की उन घटनाओं को बयान करने में कोई हर्ज नहीं है, जो हमारी शरीयत के साथ टकराती न हों। फिर आपने अपने ऊपर झूठ बाँधने से सावधान किया है और बताया है कि जो आप पर जान-बूझकर झूठ बाँधेगा, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।

अनुवाद: अंग्रेज़ी उर्दू स्पेनिश इंडोनेशियाई उइग़ुर बंगला फ्रेंच तुर्की रूसी बोस्नियाई सिंहली चीनी फ़ारसी वियतनामी तगालोग कुर्दिश होसा पुर्तगाली मलयालम तिलगू सवाहिली तमिल बर्मी थाई जर्मन जापानी पशतो असमिया अल्बानियाई السويدية الأمهرية الهولندية الغوجاراتية Kirgisisch النيبالية Yoruba الليتوانية الدرية الصربية الصومالية الطاجيكية Kinyarwanda الرومانية المجرية التشيكية الموري Malagasy इतालवी Oromo Kanadische Übersetzung الولوف البلغارية Aserbaidschanisch الأكانية الأوزبكية الأوكرانية الجورجية اللينجالا المقدونية
अनुवादों को प्रदर्शित करें

हदीस का संदेश

  1. अल्लाह की शरीयत को दूसरों तक पहुँचाने की प्रेरणा और इस बात का प्रोत्साहन कि इन्सान को दीन की उन बातों को दूसरों तक पहुँचा देना चाहिए, जिनको उसने याद किया और समझा है, चाहे वह थोड़ी ही क्यों न हों।
  2. शरई ज्ञान अर्जित करना वाजिब है, ताकि इन्सान अल्लाह की इबादत करने और उसकी शरीयत को दूसरों तक पहुँचाने का काम सही तरीक़े से कर सके।
  3. किसी हदीस को दूसरे तक पहुँचाने या उसे फैलाने से पहले उसके सही होने की पुष्टि कर लेनी चाहिए, ताकि इन्सान इस चेतावनी के दायरे में न आ जाए।
  4. आम बातचीत के दौरान सच बोलने और हदीस बयान करते समय सचेत रहने की प्रेरणा, ताकि इन्सान झूठ में पड़ने से बच सके। खास तौर से अल्लाह की शरीयत के बारे में सावधान रहने की अधिक आवश्यकता है।
अधिक