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عَنْ سَمُرَةَ بْنِ جُنْدَبٍ وَالْمُغِيرَةِ بْنِ شُعْبَةَ رضي الله عنهما قَالَا: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«مَنْ حَدَّثَ عَنِّي بِحَدِيثٍ يُرَى أَنَّهُ كَذِبٌ، فَهُوَ أَحَدُ الْكَاذِبِينَ».

[صحيح] - [رواه مسلم في مقدمته]
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समुरा बिन जुंदुब और मुग़बीरा बिन शोबा रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है, दोनों कहते हैं कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है :
"जो व्यक्ति मेरे हवाले से कोई बात बताए और उसे लगता हो कि वह झूठ है, तो वह झूठों में से एक है।"

[सह़ीह़] - - [صحيح مسلم]

व्याख्या

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि जो व्यक्ति आपके हवाले से कोई हदीस बयान करे और वह जानता हो या उसे लगता हो कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ओर इस हदीस की निस्बत झूठी है, तो बयान करने वाला भी इस झूठ में इसे पहली बात बोलने वाले का शरीक है।

हदीस का संदेश

  1. अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से नक़ल की गई हदीसों की छानबीन करना और उन्हें रिवायत करने से पहले उनके सहीह होने के बारे में आश्वस्त हो जाना ज़रूरी है।
  2. झूठ बोलने वाले के साथ-साथ उसे नक़ल करने और फैलाने वाला भी झूठा है।
  3. किसी हदीस के मनगढ़त होने का ज्ञान या प्रबल गुमान होने के बावजूद उसे नक़ल करना हराम है। हाँ, उससे सावधान करने के नक़ल किया जाए, तो बात अलग है।
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