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عن عمران بن حصين رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم:
«‌لَيْسَ ‌مِنَّا ‌مَنْ ‌تَطَيَّرَ أَوْ تُطُيِّرَ لَهُ، أَوْ تَكَهَّنَ أَوْ تُكُهِّنَ لَهُ، أَوْ سَحَرَ أَوْ سُحِرَ لَهُ، وَمَنْ عَقَدَ عُقْدَةً، وَمَنْ أَتَى كَاهِنًا فَصَدَّقَهُ بِمَا يَقُولُ فَقَدْ كَفَرَ بِمَا أُنْزِلَ عَلَى مُحَمَّدٍ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ».

[حسن] - [رواه البزار] - [مسند البزار: 3578]
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इमरान बिन हुसैन रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, उन्होंने कहा: अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया:
"वह व्यक्ति हममें से नहीं, जिसने अपशगुन लिया अथवा जिसके लिए अपशगुन लिया गया, जिसने ओझा वाला कार्य किया अथवा ओझा वाला कार्य किसी से करवाया, जिसने जादू किया या जादू करवाया। तथा जिसने कोई गिरह लाई और जो किसी ओझा के पास गया और उसकी बात को सच माना, उसने उस शरीयत का इनकार किया, जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारी गई है।"

[ह़सन] - [इसे बज़्ज़ार ने रिवायत किया है।] - [مسند البزار - 3578]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कुछ काम करने वाले अपनी उम्मत के कुछ लोगों को यह कहकर चेतावनी दी है कि वे हममें से नहीं हैं। ये काम कुछ इस प्रकार हैं:
1- ऐसा व्यक्ति जिसने अपशगुन लिया या जिसके लिए अपशगुन लिया गया। अरब के लोग कोई काम शुरू करते समय पक्षी को छोड़ते थे। पक्षी अगर दाएँ उड़ता, तो अच्छा शगुन लेते और जिस काम का इरादा होता, उसे करते। लेकिन अगर बाएँ उड़ता, तो बुरा शगुन लेते और जो काम करना चाहते, उसे छोड़ देते। यह काम न तो खुद करना जायज़ है और न किसी से करवाना जायज़ है। इसके अंदर किसी भी चीज़ से लिया जाने वाला हर अपशगुन दाख़िल है। चाहे उस चीज़ का संबंध सुनने से हो या देखने से हो, अथवा वह चीज़ चिड़िया हो, जानवर हो, विकलांग लोग हों, संख्या हों या दिन आदि हों, सभी अपशगुन अमान्य है।
2- ऐसा व्यक्ति जिसने खुद ओझा वाला कार्य किया या किसी से ओझा वाला कार्य करवाया। जिसने नक्षत्रों आदि का सहारा लेकर ग़ैब की बात जानने का दावा किया या फिर किसी ऐसे व्यक्ति के पास गया, जो ग़ैब की बात जानने का दावा करता हो और उसकी बात को सच भी माना, उसने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतारी गई शिक्षाओं के प्रति अविश्वास व्यक्त किया।
3- ऐसा व्यक्ति जिसने किसी को लाभ पहुँचाने या किसी की हानि करने के उद्देश्य से जादू किया या जादू करवाया या नाजायज़ मंत्र आदि का उच्चारण करके धागा आदि पर गिरह लगाई तथा फूँक मारी।

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हदीस का संदेश

  1. अल्लाह पर भरोसा करने तथा अल्लाह की बनाई हुई तक़दीर पर विश्वास रखने की अनिवार्यता और अपशगुन, जादू तथा कहानत (ओझा का काम) आदि करने या किसी से करवाने का हारम होना।
  2. ग़ैब की बात जानने का दावा करना शिर्क तथा तौहीद के विपरीत है।
  3. ओझाओं के द्वारा कही गई बात को सच मानना और उनके पास जाना हराम है। इसी संदर्भ में हथेली और प्याली को पढ़ना तथा इनसान के सौभाग्य एवं दुर्भाग्य को नक्षत्रों से जोड़ना आदि भी शामिल हैं, यद्यपि यह सब कार्य जानकारी के लिए किए गए हों।
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