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عَنْ أَبِي سَعِيدٍ الْخُدْرِيِّ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«لَتَتَّبِعُنَّ سَنَنَ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِكُمْ، شِبْرًا بِشِبْرٍ، وَذِرَاعًا بِذِرَاعٍ، حَتَّى لَوْ دَخَلُوا فِي جُحْرِ ضَبٍّ لَاتَّبَعْتُمُوهُمْ» قُلْنَا: يَا رَسُولَ اللهِ آلْيَهُودَ وَالنَّصَارَى؟ قَالَ: «فَمَنْ؟».

[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح مسلم: 2669]
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अबू सईद ख़ुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है, वह कहते हैं अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है :
"तुम अपने से पहले समुदायों का बित्ता-बित्ता और हाथ-हाथ अनुसरण करोगे। यहाँ तक कि अगर वे सांडा के बिल में घुसे हैं, तो तुम भी उसमें घुसोगे।" सहाबा ने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल, क्या आपका आशय यहूदी और ईसाई हैं? तो आपने फरमाया : "फिर और कौन?"

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 2669]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि आपके ज़माने के बाद आपकी उम्मत के कुछ लोगों का क्या हाल होने वाला है। यह लोग विश्वासों, कार्यों, आदतों एवं रस्मों में यहूदियों एवं ईसाइयों की हूबहू नक़्क़ाली करने लगेंगे। हाल यह होगा कि अगर वह सांडा के बिल में घुसे होंगे, तो यह लोग भी उनके पीछे-पीछ घुस जाएँगे।

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हदीस का संदेश

  1. यह हदीस मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सच्चे नबी होने की एक निशानी है कि हूबहू वही हुआ, जो आपने बताया था।
  2. मुसलमानों को काफिरों की मुशाबत अख़्तियार करने से मना किया गया है। समानता चाहे विश्वास में हो, इबादतों में हो, तेवहारों में हो या उनके खास वेशभूषा में।
  3. इस्लाम में शिक्षा देने का एक तरीक़ा ग़ैर-महसूस चीज़ों को महसूस मिसालों द्वारा स्पष्ट करना भी है।
  4. सांडा : एक जानवर है, जिसका बिल बहुत अंधेरे में और अत्यंत बदबूदार होता है। यह रेंगने वाला जानवर है, जो रेगिस्तानों में बड़ी संख्या में पाया जाता है। यहाँ विशेष रूप से सांडे के बिल का ज़िक्र इसलिए हुआ है कि सांडे का बिल बहुत ही तंग और बेढब होता है। लेकिन इसके बावजूद अगर मुसलमानों का एक वर्ग यहूदियों एवं ईसाइयों के पद्चिह्नों पर चलते हुए इस तंग और बेढब बिल में घुस जाता है, तो इसका मतलब यह है कि यह वर्ग उनका ही अनुसरण करने वाला है।
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