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عن أبي هريرة رضي الله عنه مرفوعًا: «إِذَا لَبِسْتُم، وَإِذَا تَوَضَّأتُم، فَابْدَأُوا بَأَيَامِنُكُم».
[صحيح] - [رواه أبو داود واللفظ له، والترمذي وابن ماجه وأحمد]
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अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "जब तुम वस्त्र धारण करो अथवा वज़ू करो, तो दाहिने ओर से प्रारंभ करो।"
[सह़ीह़] - [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अनहु- की यह हदीस सभी अच्छे कार्यों को दाएँ हाथ से करने पर ज़ोर देती है। उनका वर्णन है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "जब तुम वस्त्रधारण करो" यानी जब कपड़ा पहनने का इरादा करो। "तथा जब तुम वज़ू करो" यानी जब वज़ू करने का इरादा करो। "तो दाहिने ओर से प्रारंभ करो।" इस हदीस में आया हुआ शब्द 'أيامن' बहुवचन है 'أيمن' का। यह बाएँ के विपरीत को कहते हैं। इस हदीस का आशय यह है कि कुर्ता आदि पहनते समय दाएँ हाथ को पहले घुसाया जाएगा और वज़ू करते समय दाएँ हाथ एवं पाँव को बाएँ हाथ एवं पाँव से पहले धोया जाएगा। याद रहे कि वज़ू के कुछ अंग ऐसे भी हैं, जिनमें दाएँ-बाएँ का ख़याल रखना मुसतहब नहीं है। वह हैं, दोनों कान, दोनों हथेलियाँ और दोनों गाल। इन्हें एक साथ पाक किया जाएगा। यदि ऐसा संभव न हो, मसलन किसी का एक हाथ कटा हुआ हो, तो वह दाएँ अंग से आरंभ करेगा।

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