عن أبي هريرة رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم : "لاَ يَقْبَل الله صلاَة أَحَدِكُم إِذا أَحْدَث حَتَّى يَتوضَّأ".
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः जब तुममें से किसी का वज़ू टूट जाए तो जब तक वज़ू न कर ले, अल्लाह उसकी नमाज़ ग्रहण नहीं करता।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।
प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने यह निर्देश दिया है कि जो व्यक्ति नमाज़ पढ़ना चाहे, वह अच्छी हालत और सुंदर अवस्था में नमाज़ के लिए खड़ा हो, क्योंकि नमाज़ बंदे को अल्लाह से जोड़ने का एक उत्तम ज़रिया और उससे बात करने का माध्यम है। यही कारण है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने बंदे को नमाज़ शुरू करने से पहले वज़ू करने तथा पाक-साफ़ हो जाने का आदेश दिया है और यह बताया है कि तहारत के बिना नमाज़ क़बूल नहीं होती।