عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه عَنِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم قَالَ:
«لَا يَقْبَلُ اللهُ صَلَاةَ أَحَدِكُمْ إِذَا أَحْدَثَ حَتَّى يَتَوَضَّأَ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 6954]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"जब तुममें से किसी का वज़ू टूट जाए, तो जब तक वज़ू न कर ले, अल्लाह उसकी नमाज़ ग्रहण नहीं करता।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 6954]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि नमाज़ के सटीक होने की एक शर्त तहारत (पवित्रता) है। अतः जिस व्यक्ति का पेशाब, पाखाना एवं नींद आदि के कारण वज़ू टूट जाए और वह नमाज़ पढ़ना चाहे, तो उसपर वज़ू करना वाजिब होगा।