عن عبد الله بن عمر رضي الله عنهما عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: «من تَشبَّه بقوم، فهو منهم».
[حسن] - [رواه أبو داود وأحمد]
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अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ियल्लाहु अंहुमा) से वर्णित है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "जो किसी समुदाय से अनुरूपता ग्रहण करे, वह उसी में से है।"
ह़सन - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस दीस के अंदर व्यापकता एवं उमूम है। अतः जो अल्लाह के सदाचारी बंदों के जैसा बनने का प्रयास करेगा वह सदाचारी होगा और क़यामत के दिन उनके साथ उठाया जाएगा और जो काफ़िरों एवं गुनहगारों के जैसा बनने का प्रयास करेगा, वह उन्हीं के रास्ते पर चलने वाला होगा।

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हदीस का संदेश

  1. काफ़िरों की समरूपता अपनाने से सावधान करना।
  2. अल्लाह के सदाचारी बंदों की समरूपता अपनाने का प्रयास करना।
  3. साधनों को भी उद्देश्यों के अहकाम प्राप्त होते हैं। चुनांचे ज़ाहिरी समरूपता बातिनी प्रेम का कारण बनती है।
  4. मुशाबहत के सारे अहकाम को विस्तारपूर्वक बयान करना संभव नहीं है, क्योंकि यह मुशाबहत के प्रकार और उसके अंदर पाई जाने वाली बुराइयों की भिन्नता के हिसाब से बदलते रहते हैं। विशेष रूप से इस ज़माने की तो बात ही और है। ऐसे में हर मसले को शरई प्रमाणों की कसौटी में रखकर परखने की आवश्यकता है।
  5. काफ़िरों से मुशाबत की मनाही से मुराद दरअसल उनके धर्म तथा उनकी खास आदतों में मुशाबहत से मनाही है। वरना अन्य मामले जैसे उद्योग आदि सीखना इस मनाही में दाख़िल नहीं हैं।
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