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عَنْ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عَمْرٍو رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا عَنِ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«المُسْلِمُ مَنْ سَلِمَ المُسْلِمُونَ مِنْ لِسَانِهِ وَيَدِهِ، وَالمُهَاجِرُ مَنْ هَجَرَ مَا نَهَى اللَّهُ عَنْهُ».

[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 10]
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अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"मुसलमान वह है, जिसकी ज़बान और हाथ से मुसलमान सुरक्षित रहें और मुहाजिर वह है, जो अल्लाह की मना की हुई चीज़ें छोड़ दे।"

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 10]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि पूरा मुसलमान वह है, जिसकी ज़बान से मुसलमान सुरक्षित रहें कि वह किसी को गाली न दे, किसी पर धिक्कार न करे, किसी की ग़ीबत न करे और किसी को भाषा द्वारा कोई कष्ट न दे। इसी तरह उसके हाथ से मुसलमान सुरक्षित रहें। मसलन वह न किसी पर अत्याचार करे और न किसी का माल हड़पे। जबकि असल हिजरत करने वाला वह है, जो अल्लाह की हराम की हुई चीज़ें छोड़ दे।

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हदीस का संदेश

  1. पूरा मुसलमान होने के लिए ज़रूरी है कि किसी को कष्ट न दे। कष्ट भौतिक हो कि नैतिक।
  2. विशेष रूप से ज़बान एवं हाथ का ज़िक्र इसलिए किया गया है कि मानव शरीर के इन दोनों अंगों से बहुत-से ग़लत काम और बहुत-से लोगों का नुक़सान होता है। ज़्यादातर बुराइयाँ इन्हीं दोनों अंगों से होती हैं।
  3. गुनाहों से बचने और अल्लाह के आदेशों का पालन करने की प्रेरणा।
  4. सबसे अच्छा मुसलमान वह है, जो अल्लाह के अधिकार एवं मुसलमानों के अधिकार दोनों अदा करे।
  5. अत्याचार का संबंध कभी कथन से होता है और कभी कार्य से।
  6. पूर्ण हिजरत यह है कि इन्सान अल्लाह की हराम की हुई चीज़ें छोड़ दे।
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